घुटनें की समस्या आजकल उम्र नहीं देखती है। यह समस्या अब युवाओं और बच्चों को भी परेशान करने लगी है। घुटना शरीर का भार सहता है, उसे सपोर्ट करता है और उसे चलाता है। लेकिन घुटनों का दर्द ऐसा दर्द होता है जो किसी की रोजमर्रा की ज़िदंगी को रोक देता है। वैसे तो यह दर्द बुढापे में ज्यादा परेशान करता था पर आजकल की जीवनशैली के कारण युवा भी भारी मात्रा में इससे पीड़ित नजर आ रहे हैं। तेज रफ्तार जिंदगी के कारण खानपान, व्यायाम आदि पर उचित ध्यान न दिए जाने से यह समस्या पैदा होती है।
अगर आपको घुटने में तकलीफ रहती है तो सावधान हो जाएं। यह आर्थराइटिस की समस्या भी हो सकती है। आर्थराइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसका शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों पर असर पड़ता है। मरीज के पैरों और हड्डियों के जोड़ों में तेज दर्द होता है, जिससे चलने-फिरने में भी तकलीफ हो सकती है।
घुटने के दर्द का कारण
ऐसा नहीं है कि घुटने के दर्द सिर्फ आर्थराइटिस ही एकमात्र कारण है, इसके कई अन्य कारण भी हैं- जैसे ओवरवेट। घुटने में चोट लगना, घुटनों पर ज्यादा जोर पड़ना।
लंबे समय तक एक ही अवस्था में बैठना या खड़े रहना। हड्डियों का बढ़ जाना एवं मांसपेशियों का कमजोर हो जाना। गलत व्यायाम करना, सही नाप के जूते चप्पल ना पहनना आदि। परन्तु इसे सही जांच, इलाज और फिजियोथेरेपी की मदद से इस बीमारी को छूमंतर किया जा सकता
घुटने के दर्द का इलाज
सिकाई से मिलेगी तुरंत राहत-
घुटनों में दर्द को कम करने के लिए गरम या ठंडे पैड से सिकाई जरूरी होती है। यह सबसे आसान और प्रभावी तरीकों में से एक है। घुटनों को ठंडा सिकाई देने से यह रक्त वाहिकाओं को कसता है जिससे रक्त प्रवाह कम होता है और सूजन भी घटती है।
वजन को करें नियंत्रित-
अर्थराइटिस या घुटने की समस्या से परेशान है तो तुरंत ही अपने वजन को नियंत्रित करें क्योंकि ज्यादा वजन से घुटने तथा कूल्हों पर दबाव पड़ता है। साथ ही औसतन 1 से डेढ़ घंटे लगातार खड़े रहने के बाद घुटनों को 5-10 मिनट का आराम देना चाहिए।
व्यायाम से मिलेगा लाभ-
जिम में हमेशा विशेषज्ञों तथा कुशल फिजियोथेरेपिस्ट के निर्देशन में ही व्यायाम करना चाहिए तथा वजन उठाना चाहिए। नियमित रूप से डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा बताए गए घुटनों के विशिष्ट व्यायाम करना लाभदायक होता है।
कैल्शियम का सेवन-
हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए कैल्शियम के सेवन की बहुत आवश्यकता होती है। दूध, दहू ब्रोकली और मछली में पर्याप्त कैल्शियम पाया जाता है। खानपान में कैल्शियम का संपूर्ण आहार लेना चाहिए।
समय-समय लें चिकित्सक की परामर्श-
डॉक्टर से समय-समय पर जांच कराते रहें। समय-समय पर अपनी दवा लेते रहें। कसरत व जोड़ों को डॉक्टरी परामर्श से उस पर काम करते रहें।