बरसात का मौसम बारिश की बौछार के साथ- साथ कई मुसीबतों की बहार भी लेकर आता है। इस मौसम में तमाम तरह के संक्रमण आपको घेर लेते हैं। जो इस दौरान ना सिर्फ गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक होता है बल्कि महिलाओं के लिए भी कई मुसीबत लेकर आता है।
मानसून में गर्भवती महिला की सुरक्षा के लिए ध्यान रखने योग्य बातें
भोजन संबन्धी
खाना बनाने से पहले सब्जियों को साफ पानी से धो लें, भाप में पकी हुई सब्जि़याँ खाना ही अच्छा विकल्प होता है। गर्भावस्था में विटामिन सी का सेवन अधिक करना चाहिए। कड़वे सब्ज़ियों और हर्ब जैसे- करेला, मेथी, तुलसी, हल्दी को अपने डायट शामिल करें, इससे संक्रमण का खतरा कु्छ हद तक कम हो जाता है।
मानसून में आमतौर पर पानी का सेवन कम हो जाता है। पानी से बचने से आप डिहाइड्रेट हो सकते हैं। इसलिए गर्भवती को खुद को डिहाइड्रेशन से बचाना के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी होता है। कम-से-कम 2 से 2.5 लीटर पानी ज़रूर पियें। ध्यान रखें कि उबला हुआ या फिल्टर पानी ही पियें।
स्वच्छता संबन्धी
लेप्टोस्पाइरोसिस, एक जीवाणु के द्वारा पनपता है जो इंसान या जानवर किसी के भी द्वारा गर्भवती महिला के गर्भ तक पहुंच सकता है। सामान्य दिनों की अपेक्षा इस रोग के होने की संभावना बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा होती है। लेप्टोस्पाइरोसिस संक्रमण गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए जानलेवा भी हो सकता है। संक्रमित भोजन, पानी या त्वचा के संपर्क से भी यह बीमारी फैलती है। इसलिए गर्भवती को स्वच्छ भोजन और पानी पीना चाहिए।
जंकफूड संबन्धी
जंकफूड हमेशा ही शरीर के लिए नुकसानदेह होते हैं लेकिन गर्भाधारण के बाद हानिकारक जंकफूड और पैकेजिंग वाले खाने से विशेषकर दूर रहना चाहिए। मानसून में गर्भवती महिलाओं की पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, जिससे भारी भोजन को पचाने में कई कठिनाईयां होती है। जो शरीर के लिए नुकसानदेह है इसलिए मानसून में इस तरह के भोजन से दूर रहना चाहिए।