प्रेगनेंसी का पता लगते ही किसी भी स्त्री में एक खुशी की लहर दौड़ जाती है और आखिर ऐसा हो भी क्यों ना। मां बनने का एहसास किसी भी स्त्री के लिए सबसे अनोखा और प्यारा एहसास होता है जिसे हर स्त्री अपने जीवन में अनुभव करना चाहती है। लेकिन यह एहसास अपने साथ लेकर आता हैं ढ़ेरों जिम्मेदारी। जो आपके और आपसे आने वाले नये जीवन दोनों से जुड़ी होती हैं। आपका खानपान, रहन-सहन, जीवनशैली या फिर आपकी लाइफस्टाइल का सीधा असर आपके होने वाले बच्चे पर पड़ता है।
जिसमें से सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण होता है आपका खानपान। जिससे आपके बच्चे पर सीधे तौर पर इफेक्ट करता है। गर्भावस्था के दौरान आपके और आपके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए पोषक तत्व से भरपूर डाइट चार्ट का पालन करना जरूरी होता है। यदि आपका आहार शुरुआत से ही ठीक नहीं है, तो यह और भी महत्वपूर्ण है की आप अब स्वस्थ आहार खाएं। आपको अब और अधिक विटामिन और खनिज, विशेष रूप से फॉलिक ऐसिड और आयरन की जरूरत है। प्रेंगनेंट महिलाओं के खानपान और उनपर पड़ने वाले असर के बारें में ये हैं कुछ मुख्य बातें-
उबकाई में रोकने में मददगार अदरक-
अक्सर महिलाएं गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीनों में सुबह सुबह उबकाई की समस्या से परेशान रहती हैं ऐसे में अदरक काफी मदद कर सकता है। गर्भवती महिलाएं जो रक्त संचार की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे ज्यादा मात्रा में अदरक वाला पानी पियें। गर्भवती महिलाएं जो रक्त संचार की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें ज्यादा मात्रा में अदरक वाला पानी पीना चाहिए।
आलू से करें परहेज-
आलू से बनी चीजें ज्यादा खाने से गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज होने के खतरा ज्यादा होता है। इससे मां और बच्चे दोनों को कई तरह के खतरे हो सकते हैं। खास कर तला हुआ आलू या अत्यधिक चिप्स का सेवन करने से। इसमें कार्बोहाइड्रेट के अलावा विटामिन सी और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व भी होते हैं, लेकिन हरी सब्जियों के मुकाबले इसमें स्टार्च की भरपूर मात्रा होती है। इसका सीधा संबंध रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने से है, जो बहुत हानिकारक है।
मेवे से होते है एलर्जी का खतरा कम-
अमेरिका में 8,200 बच्चों पर किये शोध से पता चला है कि जो महिलाएं गर्भावस्था में मूंगफली, बादाम और मेवे खाती हैं उनके बच्चों को इससे होने वाली एलर्जी का खतरा कम होता है, इसलिए मेवे जरूर खायें।
मछली का सेवन बनायें बच्चे का दिमाग स्ट्रांग-
पौष्टिक आहार में मछली का महत्वपूर्ण स्थान है और यह गर्भवती महिला के बच्चे के दिमाग के विकास में बहुत ही लाभकारी है। वसा होने के कारण हफ्ते में तीन बार मछली खाने की सलाह दी जाती है लेकिन एक स्टडी के अनुसार गर्भावस्था में ज्यादा मछली खाने से बच्चे में मोटापे का खतरा भी होता है।
कैलोरी फूड का रखें ध्यान-
आपको गर्भावस्था के दौरान कुछ और अधिक कैलोरी की भी ज़रूरत होगी। गर्भावस्था में सही आहार का मतलब है-आप क्या खा रही हैं, न की कितना खा रही हैं। जंक फूड का सेवन सीमित मात्रा में करें, क्योंकि इसमें केवल कैलोरी ज्यादा होती है और पोषक तत्व कम या न के बराबर होते हैं।
ब्रेकफस्ट में करें फाइबर की मात्रा का सेवन-
अक्सर सुबह के वक्त गर्भवती को उल्टी की शिकायत रहती है। ऐसे में सुबह सुबह कुछ खाना आसान नहीं होता है। इसलिए नाश्ते में फाइबर युक्त खाना लेना चाहिए जैसे- हर्बल चाय,हल्का फुल्का बिस्कुट या टोस्ट व साथ ही फल का सेवन करें लेकिन याद रहें खट्टे फल यानि संतरे आदि ना लें।