आप तो इस बात से वाकिफ ही होंगे कि हमारे भारत देश में कई योगी योग सिखाते हैं। ठीक इसी तरह भारत में वातायन नाम के एक महान योग भी हुआ करते थे, उनके नाम पर ही वातायनासन नाम का यह योग पड़ा है। हम आपको बता दें कि वातायन तप्स्या इसी आसन में करते थे। आइए आपको बताते हैं कि इस आसन से आपको क्या क्या फायदे हो सकते हैं। फायदों के साथ ही हम आपको इस आसन को करने की विधि और सावधानी के बारे में बताते हैं।
वातायनासन करने की विधि
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछा लें। अब चटाई में सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के घुटनों को आपस में मिला लें। एड़िया, सिर का पिछला भाग और नितंब सीधा हो, अब अपने दाहिनी टांग को घुटने से मोड़ लें और इस टांग के पांव को बांई टांग के जंघा पर रख लें। अब दोनों हाथों से नमस्कार की मुद्रा बना लें। इसके बाद अपनी बाई टांग के घुटने को धीरे धीरे सामने की तरफ मोड़ लें और दाहिने घुटने को धीरे धीरे बाएं पैर की एड़ी के पास जमीन से सटा लें। इस आसन को करते समय श्वास को सामान गति में ही लेते रहें। आप इस मुद्रा में जितनी बार रूक सकें, उतना आपके लिए फायदा होगा। ठीक इसी तरह से दूसरे पैर से इस आसन को भी करें।
वातायनासन के फायदे
- वातायनासन आसन करने से मधुमेह की बीमारी दूर होती हैं और यह काफी लाभदायक होता है।
- इस आसन को करने से वीर्य विकार भी दूर हो जाता है।
- स्वन्प दोष भी इस आसन को करने से दूर होता है।
- कमर और घुटनों का दर्द भी इस आसन को करने से दूर होता है।
- इस योग से हर्निया, सायटिका और शीघ्रपतन जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।
- गर्दन और पिंडलियां भी इस आसन को करने से पुष्ट हो जाती है।
आसन को करते समय बरते यह सावधानी
महिलाएं और लड़कियां इस आसन को ना करें, यह उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है।